Pratinidhi śokagītaRāmanuja Lāla Śrīvāstava Lokacetanā Prakāśana, 1965 - 190 страници |
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अंग्रेजी अकबर अपना अपनी अपने अब अमर आज आदि इन इस उठा उन उर्दू उस उसे एक ऐसे और कभी कर करके करने कवि कविता कहाँ का काल काव्य किन्तु किया किस किसी की कुछ के के महाप्रयाण पर केवल को कोई कौन क्या क्यों गई गए गीत घर चला चले जब जा जिस जी जीवन जो तक तथा तुम तू तेरा तेरी तेरे तो था थी थीं थे दिन दिया दिल दे देख देश दो नहीं नाम ने पथ पर पे प्रकाशित फिर बन बहुत बात बाद बापू भर भारत भी मन माँ मिर्ज़ा ग़ालिब मुझे मृत्यु में मेरे मैं यह यहाँ यही या ये रहा है रही रहे राम लिए लिखे लिये ले वह वही वे शोकगीत श्री पं० सत्य सदा सब साथ से स्वर हम हाथ हिन्दी ही हुआ हुई हुए हूँ हृदय है है कि हैं हो गया होगा